नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की ताजा विदेश यात्राओं को लेकर अगर किसी एक देश की सबसे ज्यादा दिलचस्पी है तो वह देश पाकिस्तान है। पाकिस्तानी मीडिया में भी मोदी की यात्राओं के बाद भारत को MTCR में जगह मिलने और इसके बाद भारत में न्यूक्लियर सप्लायर्स ग्रुप (एनएसजी) में प्रवेश के प्रयासों ने पाकिस्तान को तिलमिला कर रख दिया है।
पाकिस्तानी मीडिया में इसे पाक को घेरने की भारतीय कोशिशों पर लगाम लगाने के लिए कहा जा रहा है। टीवी चैनलों और समाचार पत्रों में विशेषज्ञ नवाज शरीफ सरकार से कह रहे हैं कि भारतीय कोशिशों के जबाव में तुरंत कदम उठाए जाएं। पाक में इस संभावना पर भी विचार किया जा रहा है कि अगर NSG में प्रवेश की भारतीय कोशिशें सफल होती हैं तो इसका पाकिस्तान और पूरे उप महाद्वीप पर क्या असर पड़ेगा?
पाकिस्तान के अखबार 'जंग' ने एनएसजी सदस्यता पर भारत को अमेरिकी समर्थन की खबर के साथ ही ओबामा और मोदी की तस्वीर भी छापी है। दूसरे पाकिस्तान दैनिक 'डॉन' ने अपने संपादकीय में लिखा है कि अमेरिका, एनएसजी में केवल भारत को प्रवेश दिलाना चाहता है और वैश्विक परमाणु व्यवस्था में पाकिस्तान के साथ होने वाले 'भेदभाव' को अनदेखा किया जा रहा है। डॉन का यह भी कहना है कि पाकिस्तान के साथ होने वाले 'असमान व्यवहार' से नकारात्मक असर को झेलना पड़े? उसका कहना है कि ऐसी हालत में कोई भी देश (भारत) अविवेकी नीति का रास्ता भी चुन सकता है। समाचार पत्र की राय है कि पाकिस्तान की 'दीर्घकालीन जरूरतों के लिए ज्यादा से ज्यादा छोटे, बड़े परमाणु हथियार जरूरी हैं।
पाकिस्तान के अखबार 'द न्यूज' ने अपने संपादकीय में लिखा है कि 'एक व्यक्ति जिसे गुजरात में मुसलमानों की हत्या के लिए अमेरिका में प्रवेश से वंचित कर दिया गया था, आज अमेरिका के राष्ट्रपति और कांग्रेस के ज्यादातर लोग उसके साथ हैं। अखबार में यह भी लिखा गया है कि 'अमेरिका चीन के सामने एक नई शक्ति खड़ी करना चाहता है। भारत के साथ संबंधों में अमेरिकी पाखंड भी इस स्थिति के लिए जिम्मेदार है। यह आश्चर्य की बात है कि कैसे एक धार्मिक फासीवाद का स्वागत किया जा रहा है। वह भी केवल इसलिए क्योंकि वह कारोबार को लेकर उदार है। जिस व्यक्ति को सामान्य ढंग से लिया जाना चाहिए था, उसका भव्य स्वागत किया जा रहा है।
समाचार पत्र 'एक्सप्रेस ट्रिब्यून' में लिखा गया है कि अमेरिका के लिए भारत परमाणु कायर्क्रम के नागरिक इस्तेमाल और सैन्य हथियारों के मामलों में एक बड़ा बाजार है। इस कारण से अमेरिका, भारत का समर्थन कर रहा है और चाहता है कि वह एनएसजी का सदस्य बने। ट्विटर पर एक पाकिस्तानी पत्रकार मोइन पीरजादा लिखते हैं कि 'चीन के डर के कारण अमेरिका, भारतीय रणनीति की कठपुतली बन गया है। वॉशिंगटन, जाग जाओ।'
NSG पर भारत को अमेरिकी समर्थन से तिलमिलाए पाकिस्तान ने तीन देशों की सरकारों से सम्पर्क साधा है। पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने एनएसजी देशों के राजनयिक मिशनों को इस्लामाबाद बुलाया है। विदेशी मामलों के विशेषज्ञ और पाक के वास्तविक विदेश मंत्री सरताज अजीज ने रूस, न्यूजीलैंड और दक्षिण कोरिया के विदेश मंत्रियों से फोन पर बात की और कहा कि NSG में भारत के प्रवेश से दक्षिण एशिया की सामरिक स्थिरता पर बुरा असर पड़ेगा। अजीज ने इस देशों से पाकिस्तान की सदस्यता के दावे को मजबूत करने को भी कहा।
एनएसजी देशों के साथ ब्रीफिंग सेशन के दौरान पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय में संरा डेस्क की प्रमुख तस्नीम असलम का कहना है कि 'मैं ब्रीफिंग में आए सभी डिप्लोमैट्स से अपील करती हूं कि वे एनएसजी सदस्यता के मुद्दे पर नॉन-एनपीटी देशों का समर्थन करने में भेदभाव न करें। पाक और चीन का तर्क है कि बिना नॉन-प्रॉलिफरेशन टीटी (परमाणु अप्रसार संधि एनपीटी) पर हस्ताक्षर किए बिना भारत को एनएसजी सदस्यता कैसे दी जा सकती है? इस मामले में उन्होंने पाकिस्तान के मजबूत दावे का पक्ष रखा।