
मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ऐसे ही जननेता है जिसे प्रदेश की जनता न सिर्फ अपना नेता मानती है बल्कि उनसे व्यक्तिगत लगाव भी रखती है.शिवराज का इसमें कोई सानी नहीं कि वह आम जन से तुरंत रिश्ता जोड़ लेते है लेकिन पिछले कुछ सालों से उनका रुझान अपने भांजे-भंजियो और प्रदेश की आम जनता जिसे वह अपना रिश्तेदार बताते है उससे दूर होकर पूंजीपतियों से रिश्तेदारी निभाने में लग गए है.ग्लोबल इन्वेस्टर समिटों का आयोजन और विदेश यात्राएं कर प्रदेश के लिए पूँजी जुटाने की बात करते है लेकिन वह यह भूल जाते है कि जहां प्रदेश में बाबा रामदेव का पतंजलि उद्योग लगेगा वही टॉयलेट क्लीनर मतलब कोकाकोला का भी उद्योग लगाने की बात मुख्यमंत्री करते है जिसका रामदेव विरोध करते हैं। शिवराज सरकार से पिछली चार ग्लोबल इन्वेस्टर समिट्स का लेखा-सरकार के निवेश के दावों की हकीकत जनता के सामने आना चहिये...
सरकार ने 2007 की इंदौर में आयोजित ग्लोबल इन्वेस्टर समिट में 1.20 लाख करोड़ रूपयों के निवेश का ढिंढोरा पीटा था। वास्तव में निवेश महज 4 हजार 744 करोड़ रूपयों भर का आया इन आंकड़ों को वह सुचना के अधिकार के तहत निकले गए दस्तावेजों जुटाए बताते है। इसी तरह 2010 की खजुराहो समिट में 2.37 लाख करोड़ के निवेश का दावा सरकार ने किया था।
वास्तव में निवेष हुआ आठ हजार करोड़ रूपयों का। इंदौर की 2012 की समिट में सरकार ने 1.22 लाख करोड़ के निवेश का आंकड़ा जनता के सामने रखा। हकीकत में निवेश आया महज 4 हजार 747 करोड़ रूपयों का हुआ था।वही इंदौर में ही आयोजित 2014 की ग्लोबल इन्वेस्टर समिट में सरकार ने 6.79 लाख करोड़ रूपयों के निवेश आने का दावा किया। देश से अडानी,अंबानी बंधु,टाटा, बिड़ला,गोदरेज और इस तरह के अनेक बड़े उद्योगपति आये। विदेश की कुछ ब्रांडेंड कंपनियों के कर्ताधर्ताओं और प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया। आयोजन पर सरकार ने 25 करोड़ रूपया बहाया लेकिन निवेश कितना आया?अफसरों ने दलील दी कि 2014 की समिट में एमओयू नहीं हुए, लिहाजा अभी निवेश की एक भी जानकारी पूर्ण नहीं हो पायी है।
चूंकि दावे महज कागजी थे, लिहाजा बड़े औद्योगिक घरानों ने सरकार से फिक्सिंग के तहत समिट में भारी-भरकम निवेश की घोषणाओं के बाद हाथ खींच लिये.
अनिल अंबानी ने 2010 की खजुराहो समिट में अपने भाषण में हर घंटे मध्यप्रदेश में ढाई करोड़ रूपयों के निवेश का दावा किया था। अनिल अंबानी ने कहा था उनकी कंपनी पांच सालों में 75 हजार करोड़ रूपया प्रदेश में निवेश करेगी। शिवराज सरकार बताये अनिल अंबानी की कंपनी ने 20 अक्टूबर 2016 तक प्रदेश में कुल निवेश दिखाये. प्रदेश को लूटने और लुटाने का खेल ग्लोबल इन्वेस्टर समिट्स के जरिये मध्यप्रदेश में 2007 से चल रहा है।
प्रदेश के प्राकृतिक संसाधनों को लूटा है। और सबसे अधिक इन्वेस्टमेंट के नाम पर धोखा दिया;अंबानी,अडानी, जेपी ग्रुप ने....... जिस मामा के पावों में छाले पड़ जाते है वह अब जनमन का जननायक नहीं हो सकता क्योंकि पग पग वाले भैया के पाँव में छाले नहीं पड़ते थे इसलिए सुनहरे सपने दिखाने वाले शिवराज का आवरण को अब प्रदेश की जनता जान चुकी ही और उस उद्योगपतियों के नेता से मोह भंग हो रहा है.....?