
सिंहस्थ के अखाड़ों में सरकारी व्यवस्थाओं की पड़ताल कर पोलखोल रिपोर्ट :
शौचालय में दरजावे ही नहीं लगे
मंगलनाथ जोन के निर्वाणी अखाड़े में संत-साध्ाकों की रौनक है। लेकिन व्यवस्थाएं दुरुस्त नहीं। यहां 50 लाख रुपए की लागत से सिंहस्थ के मद्देनजर काम हुए, लेकिन शौचालय के दरवाजे अभी तक नहीं लग पाए हैं। पानी के लिकेज भी सुधार नहीं पाए हैं, जो काम हुआ है उसकी गुणवत्ता भी ठीक नहीं है। महंत दिग्विजय दास कहते हैं कि सरकार ने तो पैसा दिया है लेकिन अफसरों ने ऐसे ठेकेदार चुने, जो काम ही समय पर नहीं कर पाए हैं, जो भी काम हुए वे ज्यादा टिकाऊ नहीं है।
तरी तक ठीक से नहीं
दिगंबर अणी अखाड़े में हुए नव निर्माण में इतनी जल्दबाजी दिखाई गई कि न तो ठीक से तरी की गई और न ही फिनिशिंग नजर आ रही है। अभी से दीवारों पर क्रेन आने लगे हैं। अखाड़े के पिछले हिस्से में गेट ही नहीं सका। शेड के लिए रखी टीन जमीन पर पड़ी हुई है, जो यहां आने वाले भक्तों को चोटग्रस्त कर सकती है। इसके अलावा सरकार द्वारा मुहैया कराए गए अन्न् की कमी भी महसूस हो रही है। मंहत रामचंद्रदास का कहना है कि एक बोरी शकर महीने भर में कैसे चलाए। वो तो दो दिन की रसोई में खत्म हो रही है।
कचरा पेटी नहीं, लाइन भी नहीं डाली
निर्मोही अखाड़े में सबसे बड़ी परेशानी सफाई की है। दूसरे आश्रमों में तो कचरा पेटियां रखी गई है लेकिन यहां पेटी नहीं है। भक्त भोजन के बाद दोने पत्तल आश्रम के ही एक हिस्से में फेंक रहे हैं। वहां कचरे का ढेर जम चुका है। रसोई वाले हिस्से में नल तो दे दिया, लेकिन पानी निकासी के लिए लाइन नहीं डाली। मंहत महेशदास ने बताया कि मेले की व्यवस्था बरकरार रखने में अफसर फेल हो रहे हैं। प्रबंधन जैसा कुछ भी नजर नहीं आ रहा है। सफाई की व्यवस्था हमें अपने स्तर पर जुटाना पड़ रही है।